2012 के दिसंबर की उस काली रात में मुनीरका के जिस बस स्टैंड से दर्दनाक कहानी

वर्ष 2012 के दिसंबर की उस काली रात में मुनीरका के जिस बस स्टैंड से दर्दनाक कहानी की शुरुआत हुई थी वहां अब सात साल बाद हालात काफी बदल चुके हैं। यहां निर्भया अपने दोस्त के साथ घर जाने के लिए पहुंची थी, लेकिन उसे क्या मालूम था कि यह उसकी जिंदगी का आखिरी सफर साबित होगा और यहां से शुरू हुई उसके जीवन की दर्दनाक कहानी उसकी सांस थमने के साथ खत्म हो जाएगी। 


उस बस स्टैंड में, जहां सार्वजनिक वाहनों का अभाव रहता था अब सात साल बाद वहां मेट्रो स्टेशन बन चुका है और देर रात तक लोगों को सवारी की सुविधा मिलती है। 


घटना के गवाहों में यह बस स्टैंड भी शामिल था। अब सात साल तीन महीने बाद पेड़ की छांव में बने इस बस स्टैंड पर प्रतिदिन सैकड़ों लोग अपनी अपनी मंजिल के लिए सफर पर निकलते हैं। वहीं, कुछ लोगों की मंजिल भी इसी बस स्टैंड पर खत्म होती है। बस स्टैंड के पास अब मुनीरका का मेट्रो स्टेशन भी बन चुका है जिसके बाहर ऑटो वालों का जमावड़ा भी लगा रहता है। 


स्थानीय लोगों ने बताया कि जिस समय वह दर्दनाक घटना हुई थी। उस समय यहां न मेट्रो स्टेशन था और न ही ऑटो वालों का जमावड़ा रहता था। वहीं, सार्वजनिक बसों की भी कमी थी। यही कारण था कि उस दिन निर्भया को मजबूरी में एक चार्टर्ड बस में सवार होना पड़ा था। जिसके बाद उन दरिंदों ने निर्भया के साथ घिनौनी करतूत की जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। 


बस स्टॉप पर खिल गए फूल
मुनीरका के बस स्टैंड पर खिले फूल भी मानो बेटी को मिले इंसाफ की गवाही में खुशी जाहिर कर रहे हों। स्टैंड के पास फूलों का काम करने वाले सीताराम ने बताया कि सैमल के सुंदर लाल फूल इसी मार्च में खिले हैं। इससे ऐसा लग रहा है मानो स्टैंड को भी पता हो कि इस मार्च में दोषियों को फांसी होगी व निर्भया को इंसाफ मिलेगा। यही कारण है कि आज यह इस स्टैंड पर फूल खिल गए हैं।